मंगलवार, 5 जून 2012


लूट की छूट और उत्तर प्रदेश की दलित राजनीती 

खास दरबारी ही बने अंटू की मुसीबत
Jun 05, 07:54 pm
लखनऊ [आनन्द राय]। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्र उर्फ अंटू मिश्र एनआरएचएम घोटाले की जांच के शुरुआती दौर से ही सीबीआइ की हिट लिस्ट में रहे, लेकिन उनके खास दरबारियों ने उनकी मुसीबत और बढ़ा दी। जांच के गति पकड़ते ही अंटू के चहेते ठेकेदार उनका कच्चा चिट्ठा खोलने लगे। उन्होंने जिन सीएमओ को अपना समझकर मलाईदार जिलों में तैनाती दी वह भी उनका राज छुपा न सके।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ अब एनआरएचएम घोटाले में अंटू मिश्र को चौतरफा घेर चुकी है। जांच की शुरुआत में अंटू के खिलाफ सबसे पहले पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने जुबान खोली थी, लेकिन तब सीबीआइ के पास अंटू के खिलाफ कोई सबूत नहीं था। अंटू को शिकंजे में लेने के लिए सीबीआइ ने उनके खास सीएमओ और चहेते ठेकेदारों की सूची तैयार की और फरवरी के आखिरी हफ्ते में छापेमारी की। तब कुछ सीएमओ मौके से भाग गये, लेकिन जो पकड़ में आये, उन्होंने सीबीआइ को एनआरएचएम की दास्तां सुनाई और सबने अंटू के ही सिर घोटाले का ठीकरा फोड़ा। इनमें कई सीएमओ ने बाबू सिंह की भी करतूतें बताई।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी में सीएमओ रहे डाक्टर आरएस वर्मा, बस्ती में डॉ जीपी वर्मा, गोरखपुर में डॉ आरएन मिश्र, मेरठ में डाक्टर प्रेमप्रकाश, वाराणसी में संयुक्त निदेशक डॉ आरएन यादव, श्रावस्ती के सीएमओ डॉ सी प्रकाश, कई जिलों में सीएमओ रहे पटना निवासी डाक्टर विभूति प्रसाद, कन्नौज में एसीएमओ डाक्टर हरिश्चंद्र, सीनियर कंसलटेंट पैथोलॉजी गोरखपुर डाक्टर सिलोइया, बहराइच के डॉ हरि प्रकाश, गोंडा में एसीएमओ डॉ एके श्रीवास्तव, डॉ एसपी पाठक और वाराणसी में रह रहे बलिया के सीएमओ पद से सेवानिवृत्त केएम तिवारी जैसे कई मौजूदा और पूर्व सीएमओ थे, जिनकी पकड़ या तो बिचौलियों के जरिए या सीधे अंटू मिश्र तक थी। यह सभी लोग अंटू के यहां नियमित दरबार लगाते थे और इन सबके माडल लखनऊ के तत्कालीन सीएमओ डाक्टर एके शुक्ला थे। सीबीआइ ने फरवरी में जब इनके यहां एक साथ छापेमारी की तो कई लोग टूट गये। इन लोगों ने ही घोटाले के तौर तरीकों से लेकर हिस्सेदारों तक के नाम बताये। डाक्टर एके शुक्ला ने तो अंटू पर आरोपों की झड़ी लगा दी थी। इस बीच अंटू के खास बिचौलिए वाराणसी के दवा कारोबारी महेंद्र पाण्डेय और 18 जिलों में दवा का काम करने वाले रइस अहमद उर्फ गुड्डू खान का नाम उजागर हुआ, जिनकी संस्तुति पर सीएमओ 15 से 20 लाख रुपये में तैनात किये जाते थे। सीबीआइ ने महेंद्र एवं गुड्डू की भी घेरेबंदी कर दी। तैनाती के बदले में दवा खरीद में लाभ पहुंचाने, फर्जी बिलों को स्वीकृति देने, दवाओं का ठेका दिलवाने में इन सबने पाण्डेय, गुड्डू खान और उनके करीबियों को लाभ मिलने की बात भी सामने आ गई।
कुशवाहा ने बनाया एक और गुट :
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का बंटवारा हुआ तो कुशवाहा ने विधायक रामप्रसाद जायसवाल के नेतृत्व में एक बड़ा गुट खड़ा कर दिया। सर्जिकान मेडिक्वीप के एमडी गिरीश मलिक, सौरभ जैन, गुडडू खान, नरेश ग्रोवर, आरके सिंह और अधिकारियों की एक टीम काम करने लगी। इनके अलावा परदे के पीछे और भी बहुत से लोग सहायक बने। मेरठ में सीएमओ परिवार कल्याण रहे पीपी वर्मा समेत और कई सीएमओ उनके करीब हो गये। अंटू के करीबी सीएमओ ने भी उनसे रिश्ते बना लिए। बताते हैं कि बाद के दिनों में घोटाले में बाबू सिंह का वर्चस्व बढ़ गया। कुशवाहा ने महेंद्र पाण्डेय के प्रतिस्पर्धी मानवेंद्र को भी उभारा।
तैनाती का कनेक्शन तलाश रही सीबीआइ :
सीबीआइ एनआरएचएम घोटाले के दौरान सूबे में तैनात होने वाले सीएमओ और उनको तैनाती दिलाने वाले बिचौलियों का भी कनेक्शन तलाश रही है। सीबीआइ को यह जानकारी मिली है कि कई ऐसे सीएमओ थे जो खुद अपने सहयोगियों और साथियों की पोस्टिंग कराते थे। इन सीएमओ के बारे में सीबीआइ को यह भी खबर है कि मंत्री अंटू मिश्र और कुशवाहा की गैर जानकारी में भी यह घोटाला करके रकम हड़पते थे। इनकी शीघ्र गिरफ्तारी हो सकती है।
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अखिलेश जी के पास अन्टू जैसे लोग कहाँ !
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