सोमवार, 18 अप्रैल 2011

ठग

 'अमर उजाला से साभार'
अमर सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका
नई दिल्ली।
Story Update : Tuesday, April 19, 2011    12:55 AM
पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने सीडी प्रकरण को नया रुख देते हुए सोमवार को सपा के पूर्व महासचिव अमर सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। भूषण ने सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर इस मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराकर उन लोगों का पता लगाने की मांग की है जो सीडी के फर्जीवाड़े में शामिल हैं। लोकपाल बिल की संयुक्त समिति के सह-अध्यक्ष भूषण ने अमर सिंह पर फर्जी सीडी बांटने का आरोप लगाया है। इस सीडी में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, शांति भूषण और अमर सिंह की बातचीत है। सर्वोच्च अदालत में दाखिल याचिका में भूषण ने सीडी को फर्जी करार दिया है। याचिका के अनुसार यह बिलकुल साफ है कि सीडी महज न्यायपालिका पर कलंक लगाने के लिए तैयार की गई है जिसे मीडिया और लोगों के बीच पहुंचाया गया।

शांति भूषण ने कहा, एसआईटी से जांच कराई जाए
पूर्व कानून मंत्री ने याचिका को मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडिया के सूचीबद्ध किए जाने की मांग की है और अदालत की ओर से इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिए जाने का आग्रह किया है। भूषण चाहते हैं कि इस मामले पर अदालत एसआईटी को जांच करने का आदेश जारी करे क्योंकि उन्हें लगता है दिल्ली पुलिस इस मामले में सही निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। मालूम हो कि भूषण ने 14 अप्रैल को इस मसले पर आईपी इस्टेट पुलिस थाने में एक आपराधिक मामला दर्ज कराया था। भूषण ने याचिका में दो अलग प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट भी दाखिल की है जिसमें हैदराबाद की ट्रूथ लैब की रिपोर्ट भी शामिल है। इस लैब के सर्वेसर्वा केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी के पूर्व अध्यक्ष हैं। याचिका में विशेषज्ञों के तुलनात्मक अध्ययन को भी शामिल किया है और कहा गया है कि यह बातचीत अमर सिंह और मुलायम के बीच सन् 2006 में रिकॉर्ड की गई थी। इसके बाद से यह सीडी न्यायिक समीक्षा के दायरे में है, क्योंकि पूर्व सपा नेता ने सीडी को सार्वजनिक किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

सीडी न्यायपालिका पर कलंक लगाने के लिए तैयार की गई है
प्रशांत भूषण ने एक एनजीओ की ओर से आवेदन दायर कर उस सीडी की विषय-वस्तु को सार्वजनिक किए जाने की मांग की थी। भूषण ने दावा किया है कि अमर सिंह ने जानबूझकर सन् 2006 की सीडी के कुछ हिस्सों को हटाया और उसमें कुछ और शामिल कर सार्वजनिक किया है। यह तो साफ है कि सीडी फर्जी है, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह फर्जी सीडी किसने तैयार की। यह तो स्पष्ट है कि अमर सिंह इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं क्योंकि वह उस बातचीत में कह रहे हैं कि भूषण उनके साथ बैठे हुए हैं। जबकि वह सिंह से कभी मिले ही नहीं। भूषण ने यह भी शंका जताई है कि सीडी को बांटे जाने की वजह यह भी हो सकती है कि पुलिस इस मामले में दाखिल शिकायत को गंभीरता से न ले। उन्होंने इसके पीछे अन्य उद्देश्यों का भी होना जाहिर किया है। उनके अनुसार बड़े स्तर के 2जी मामले में उसी पीठ ने फैसला सुरक्षित किया था जिस न्यायाधीश का नाम फर्जी सीडी में लिया गया है। यह लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में बाधा पहुंचाने की एक चाल भी हो सकती है।

महाराष्ट्र में तीन आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमला
भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले संगठन के तीन सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं के साथ एक राजनीतिक दल से जुड़े लोगों ने बुरी तरह मारपीट की। एक आरटीआई कार्यकर्ता गंभीर घायल है। पुलिस ने बताया कि रविवार देर रात आरटीआई कार्यकर्ता पोपट पांडुरंग बर्गे, विशाल चंद्रकांत पवार और विशाल पांडुरंग बर्गे पर तलवारों, लाठियों और लोहे की राडों से हमला किया गया। इन तीनों कार्यकर्ताओं ने बताया कि अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन संगठन के कुछ सदस्यों ने एक निर्माण कार्य के बारे में आरटीआई के तहत आवेदन कर जानकारी मांगी थी। इसके बाद उन पर यह हमला बोला गया। तीनों घायल कार्यकर्ताओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमले से कुछ देर पहले ही उन्हें धमकी दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि हमलावर एनसीपी के कार्यकर्ता थे। हालांकि पुलिस ने उनके इस आरोप की पुष्टि नहीं की। पुलिस ने बताया कि मामले में पांच लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है और जांच जारी है।

अमर सिंह के आरोप को सपा ने नकारा
नई दिल्ली। शांति भूषण के सीडी विवाद पर समाजवादी पार्टी ने अमर सिंह के दावे को खारिज कर दिया है। पार्टी ने सफाई दी है कि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह से शांति भूषण की कभी मुलाकात नहीं हुई। सपा महासचिव और प्रवक्ता मोहन सिंह ने दिल्ली पुलिस को शांति भूषण से संबंधित सौंपी गई चार सीडियों और मीडिया में दिए गए अमर सिंह के बयान को नकारते हुए कहा कि उस समय मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। वे रोजाना सैकड़ों लोगों से मिलते थे। उस समय मुलायम सिंह से किस-किससे ने मुलाकात की, याद रखना मुश्किल है। जहां तक शांति भूषण का सवाल है, मुलायम सिंह उनसे कभी नहीं मिले।
अमर सिंह को शीर्ष अदालत की फटकार
नई दिल्ली।
Story Update : Thursday, February 10, 2011    12:28 AM
सुप्रीम कोर्ट ने फोन टैपिंग मामले में बार-बार अपना रुख बदलने के लिए सपा के पूर्व महासचिव अमर सिंह को बुधवार को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने उन्हें वक्त बर्बाद नहीं करने की सलाह दी। अमर सिंह ने सर्वोच्च अदालत में सन् 2006 में अपने फोन टेप किए जाने के मामले में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ आरोप वापस लेने की मांग की है। जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली की बेंच को सिंह ने बताया कि उन्होंने फोन टैपिंग मामले में अपनी याचिका में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के खिलाफ जो आरोप लगाए थे, उन्हें वापस ले रहे हैं। बेंच ने सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के पेश होने पर भी आश्चर्य जताया। पिछली सुनवाई में एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह की तरफ से पेश हुए थे।

फोन टैपिंग मामले में रुख बदलने पर जताई नाराजगी
सिंघवी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 2006 में व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर आरोप लगाए थे कि कांग्रेस पार्टी समेत राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उनके फोन टैप करने के पीछे हैं। इस पर बेंच ने कहा, जब आप इसे व्यक्तिगत जानकारी कहते हैं। व्यक्तिगत जानकारी का मतलब ऐसी जानकारी से होता है जो आपको व्यक्तिगत तौर पर मालूम हो और यह समय के साथ बदल नहीं सकती। आरोप वापस लेने के हलफनामे पर सिंह की खिंचाई करते हुए बेंच ने कहा कि अदालत ने आपके मामले की सुनवाई शुरू की।

कई साल बीत चुके हैं और आपके कथनों के आधार पर आपके मामले के लिए कई घंटे समर्पित किए गए। हम केवल उन्हीं पर भरोसा करते हैं। शीर्ष अदालत ने सिंघवी को कई बार याचिका का वह हिस्सा पढ़ने को कहा जिसमें सिंह ने कांग्रेस पार्टी और उसकी अध्यक्ष के खिलाफ आरोप लगाए थे। बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में आपने कहा कि सत्ताधारी दल अपने अधिकार का दुरुपयोग कर रही है। लेकिन अब पता चल रहा है कि सबकुछ फर्जी है। अदालत ने सिंघवी से पूछा कि इस याचिका पर सुनवाई क्यों की जानी चाहिए। ऐसे व्यक्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई क्यों की जानी चाहिए जो साफ इरादे से नहीं आया है।
SC ने अमर सिंह को आड़े हाथों लिया
नई दिल्ली।
Story Update : Wednesday, February 09, 2011    4:31 PM
सर्वोच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता और राज्यसभा सदस्य अमर सिंह को अदालत का समय बर्बाद करने के लिए आड़े हाथों लिया।

ज्ञात हो कि अमर सिंह ने अपने उस आरोप को वापस ले लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2005 में उनकी टेलीफोन वार्ता टैप करने के पीछे कांग्रेस पार्टी का हाथ था। न्यायमूर्ति जी.एस.सिंघवी और न्यायमूर्ति ए.के.गांगुली की पीठ ने कहा कि क्या इस अदालत के लिए यह उचित है कि वह फर्जी दस्तावेजों पर आधारित याचिका पर अपना समय बर्बाद करे? पीठ ने कहा कि अदालत आपके हलफनामे से पीड़ित है। यह मामला अदालत का ध्यान बंटा रहा है।

आपकी याचिका पर अदालत का कितना समय बर्बाद हुआ है। और अब आपकी याचिका के एक प्रमुख हिस्से को वापस लिया जा रहा है। यहां न्यायाधीशों के पास बहुत काम है। लेकिन देखिए तो, यहां किस तरीके से व्यवहार किया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी तब की है, जब सिंह ने एक हलफनामा दायर कर पूर्व के अपने उस आरोप को वापस ले लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2005 में कांग्रेस के कहने पर सरकार ने उनकी टेलीफोन वार्ता टैप की थी।

उल्लेखनीय है कि फोन टैपिंग की घटना की जांच के दौरान यह पाया गया था कि फोन सेवा प्रदान करने वाली एक कम्पनी का एक कर्मचारी अनधिकृत तरीके से सिंह का फोन टैप करने में लिप्त था। इस काम के लिए उसके पास दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार द्वारा जारी दो कथित पत्र उपलब्ध थे। अमर सिंह 2006 में इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय चले गए थे। उन्होंने टेलीफोन वार्ता मीडिया में प्रकाशित होने से रोकने के लिए सर्वोच न्यायालय से मांग की थी।



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