सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

देश और प्रदेश के हालात-


भ्रष्टाचार व महंगाई पर प्रहार करेगी सरकार
नई दिल्ली।
Story Update : Tuesday, February 22, 2011    3:47 AM
घोटालों की तोहमत से जूझ रही सरकार ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने के अपने इरादों का संसद में इजहार किया है। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू हुए संसद के बजट सत्र में सरकार ने भ्रष्टाचार के भूत के साथ-साथ महंगाई के दानव से भी निपटने को इस साल की अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल करने की घोषणा की। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार आम जनता को महंगाई से राहत दिलाने तथा सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी व सत्यनिष्ठा की कमी से पैदा समस्याओं से प्राथमिकता से निपटेगी। इस क्रम में विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने और दोषियों की पहचान कर उन्हें सजा दिलाने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

अभिभाषण के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू
राष्ट्रपति के संसद के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन के संबोधन के साथ ही बजट सत्र 2011-12 शुरू हो गया। इस अभिभाषण में एक भी नई घोषणा का ऐलान नहीं किया गया। संभवतः सरकार ने नई घोषणाओं को बजट के लिए छोड़ दिया है लेकिन साल भर घोटाले दर घोटाले सामने आने के बाद सरकार ने अब भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए ताल ठोकने का ऐलान किया है। महिला आरक्षण को लेकर भी सरकार ने अपने मजबूत इरादे जाहिर कर दिए। राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से भी शीघ्र ही पारित हो जाएगा। उन्होंने खाद्य सुरक्षा कानून बनाने के लिए भी सरकार की प्रतिबद्धता जताई। पाटिल ने कहा कि सरकार बढ़ती महंगाई से चिंतित है। 2011-12 में मुद्रास्फीति से निबटना और खास तौर पर खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को निजात दिलाना सरकार की पहली प्राथमिकता होगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े तेवर दिखाते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनता सुशासन की हकदार है।

मिशन के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा
मंत्रियों का एक समूह भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए वैधानिक, प्रशासनिक तथा अन्य उपायों पर विचार कर रहा है। आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने संबंधी विधेयक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विसल ब्लोअर विधेयक संसद में पेश किया गया है और अब संयुक्त राष्ट्र के भ्रष्टाचार निरोधक कन्वेंशन का अनुमोदन करने का भी फैसला किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी राजनैतिक दल चुनाव सुधारों का समर्थन करेंगे। न्यायपालिका पर राष्ट्रपति ने सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर उसे भी जवाबदेह बनाने को प्राथमिकता गिना दी। राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायिक सुधारों के लिए राष्ट्रीय मिशन के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वास्तव में यूपीए सरकार ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिए अपनी उपलब्धियां ही गिनाईं। इनमें केंद्र सरकार से संचालित लगभग सभी प्रमुख कार्यक्रमों और योजनाओं का उल्लेख किया गया। राष्ट्रपति ने महंगाई व भ्रष्टाचार समेत गरीबों का उत्थान, आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति को सरकार की पांच प्रमुख प्राथमिकताओं में गिना। माओवादी हिंसा को आज भी बड़ी चुनौती बताया। संसद का पूरा शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाने और लंबे समय तक जारी गतिरोध के मद्देनजर सरकार ने परोक्ष तौर पर विपक्ष को राष्ट्रपति से नसीहत भी दिलवा दी। राष्ट्रपति ने अंत में कहा कि हमें विरासत में जो संस्थाएं, परंपराएं और प्रथाएं मिली हैं उन्हें सुदृढ़ बनाने का प्रयास करना चाहिए।

अमर उजाला ब्यूरो

UP: हंगामे के साथ बजट सत्र की शुरुआत
लखनऊ।
Story Update : Friday, February 04, 2011    3:00 PM
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र की आज हंगामी शुरुआत हुई। विपक्षी सदस्यों ने राज्यपाल को अभिभाषण पढ़ने नहीं दिया। राज्यपाल बी.एल.जोशी दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करने के लिए जैसे ही खड़े हुए वैसे ही विपक्षी सदस्य शोर मचाने लगे। मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के सदस्य विरोध स्वरूप सदन में काला कुर्ता पहन कर आए थे।

इस कदर शोर मचा कि कुछ सुना नहीं जा सका
विपक्षी सदस्यों का कहना था कि राज्यपाल का अभिभाषण वास्तविकताओं से परे है और इस सरकार ने विकास का कोई काम नहीं किया है। राज्यपाल के अभिभाषण शुरू करते ही सदन में इस कदर शोर मचा कि कुछ सुना नहीं जा सका। सपा सदस्यों ने कागज का गोला बनाकर राज्यपाल की ओर फेंका और सरकार विरोधी लिखे नारों की तख्तियां दिखाई।

राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने सदस्यों से शांति होने की अपील की लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। राज्यपाल ने अभिभाषण की पहली और अंतिम पंक्ति पढ़ी और इसे पूरा पढ़ा हुआ मान लिया गया। इसके बाद राज्यपाल सदन से बाहर चले गए। उनके जाने के बावजूद विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही।



शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

यह भी एक सच है !

सामने आए 18 भारतीय खातेदारों के नाम / 'काले धन वालों' के नाम उजागर


भारतीय रुपया
आरोप है कि कई प्रभावशाली व्यक्तियों के खाते विदेशी बैंकों में हैं
भारत सरकार को बैंक ऑफ़ लिख़टेंश्टाइन में काला धन जमा करने वाले जिन 18 भारतीयों या भारतीय कंपनियों के नाम सौंपे गए थे उनमें से 15 के नाम चर्चित पत्रिका तहलका ने प्रकाशित किए हैं.
जर्मनी के म्यूनिख शहर से 190 किलोमीटर दूर स्थित लिख़टेंश्टाइन में इन खातों के मौजूद होने की बात सामने आई थी.
अठारह मार्च 2009 को जर्मनी ने भारत सरकार को इन लोगों के नाम से संबंधित एक सूची सौंपी थी हालाँकि तहलका पत्रिका के मुताबिक़ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इस बात को कई बार दोहरा चुके हैं कि इन व्यक्तियों के नाम जनता के सामने उजागर नहीं किए जा सकते.
कथित तौर पर काला धन बाहर के मुल्कों में जमा होने की बात पर भारतीय राजनीति में पिछले कई दिनों से ख़ासी बहस छिड़ी हुई है.
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी पार्टियों समेत कई विपक्षी दल इस बात पर लगातार बल देते रहे हैं कि इन नामों को जनता के समक्ष उजागर किया जाना चाहिए.

आरोप

भाजपा ने तो सरकार पर ये आरोप तक लगाए हैं कि वो विदेशी बैंकों में जमा भारतीय काले धन को देश वापस लौटाना ही नहीं चाहती.


तहलका पत्रिका के मुताबिक़ जिन 18 लोगों के नामों की सूची जर्मनी की सरकार ने भारत सरकार को सौंपी थी, उनमे से 15 लोगों के नामों को वे छाप रहे हैं और उनेक बारे में तहलका के पास पूरी जानकारी है.

तहलका का ये भी कहना है कि वो अभी इन 15 लोगों के सिर्फ़ नाम भर उजागर कर रही है और उनका पता, टेलिफ़ोन नंबर वगैरह और उनके व्यापार के बारे में वे अभी ज़िक्र नहीं कर रहे हैं.
हालांकि पत्रिका के मुताबिक़ उन्होंने इन सभी व्यक्तियों या कंपनियों से बात करने की भी कोशिश की है और उनकी टिप्पणियों का अभी तहलका को इंतज़ार है.
तहलका के मुताबिक़ भारत सरकार यही कहती रही है कि इस मामले की विस्तृत जांच अभी जारी है, सभी बैंक खातों की जांच चल रही है.
लेकिन पत्रिका ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि इन 15 नामों के बारे में भारत सरकार की जांच लगभग पूरी हो चुकी है और आयकर अधिनियम के तहत इन 15 नामों के ख़िलाफ़ जल्द ही कार्रवाई संभव है.
पत्रिका के मुताबिक़ भारत सरकार के अधिकारियों का ये भी मत है कि इस सूची में जिन लोगों के नाम आ रहे हैं, ये व्यक्ति केवल मोहरे हैं और इनके पीछे दूसरे प्रभावशाली लोग हैं.
(बी बी सी से साभार)

सामने आए 18 भारतीय खातेदारों के नाम

सामने आए 18 भारतीय खातेदारों के नाम
Feb 05, 12:32 am
बताएं

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। सुप्रीम कोर्ट से फटकार खाने के बावजूद सरकार विदेशी बैंकों में काला धन छिपाने वाले भारतीयों के नाम दबाए बैठी है। लेकिन, यूरोपीय देश लेचेस्टाइन के एलजीटी बैंक के 18 भारतीय खाताधारकों के नाम मीडिया के हाथ लग गए हैं। पहली दफा सामने आए इन नामों में हालांकि कोई चर्चित भारतीय हस्ती नहीं है।
जर्मनी की सरकार ने दो साल पहले ही इन लोगों के नाम और उनके बैंक खाते का ब्योरा भारत सरकार को सौंप दिया था। जर्मनी से संबंधित दस्तावेज 18 मार्च, 2009 को ही भारत को मिल गए थे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार यही राग अलापती रही है कि यह सूचना सार्वजनिक नहीं की जा सकती। विपक्षी भाजपा और वामपंथी दल लगातार सरकार से इन नामों को उजागर करने की मांग करते रहे हैं।
बताया जाता है कि ये 18 नाम एलजीटी बैंक के उन 1400 खाताधारकों में शामिल हैं जिनके खातों से संबंधित दस्तावेज बैंक से चोरी हो गए थे। लेचेस्टाइन, स्विटजरलैंड और कैमोन आइलैंड जैसे काले धन की पनाहगाहों में भारतीयों की अरबों-खरबों की काली कमाई जमा है। आर्थिक विश्लेषकों का अनुमान है कि अकेले स्विस बैंकों में ही भारतीयों के 6,500 अरब रुपये जमा हैं। काली कमाई स्विस बैंकों में जमा करने वाले कुछ और भारतीयों के नाम भी जल्द ही सामने आ सकते हैं। पूर्व स्विस बैंकर रुडोल्फ एल्मर ने हाल ही में विकिलीक्स को करीब दो हजार खातों की जानकारी वाली सीडी सौंपी है जिसमें कई खाते भारतीयों के हैं।
काले धन का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। पिछले दिनों मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के अगर-मगर पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था, 'यह साधारण कर चोरी का मामला नहीं है। यह तो राष्ट्रीय संपदा की लूट है। विदेशी बैंकों में भारतीय खातेदारों के नाम उजागर करने में आपको क्या परेशानी है?'
भारतीय खाताधारकों की सूची
1. मनोज धूपलिया
2. रूपल धूपलिया
3. मोहन धूपलिया
4. हसमुख गांधी
5. चिंतन गांधी
6. दिलीप मेहता
7. अरुण मेहता
8. अरुण कोचर
9. गुणवंती मेहता
10. रजनीकांत मेहता
11. प्रबोध मेहता
12. अशोक जयपुरिया
13. राज फाउंडेशन
14. उर्वशी फाउंडेशन
15. अम्ब्रुनोवा ट्रस्ट
[इसके अलावा तीन नाम उन ट्रस्ट के हैं जिनका रजिस्ट्रेशन भारत से बाहर कराया गया है]
काले धन की जन्नत लेचेस्टाइन
स्विटजरलैंड और आस्ट्रिया से घिरा लेचेस्टाइन दुनिया के सबसे छोटे मुल्कों में शामिल है। जर्मन भाषी इस देश की आबादी महज 35 हजार है लेकिन यह दुनिया के सबसे धनी देशों में है। काले धन की जन्नत कहलाने वाला लेचेस्टाइन प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
(दैनिक जागरण से साभार)

काला धन जमा करने वालों का हुआ खुलासा
नई दिल्ली।
Story Update : Saturday, February 05, 2011 1:52 AM

विदेश में जमा काले धन के मामले में शुक्रवार को एक सनसनीखेज खुलासा हुआ। खोजी पत्रिका तहलका ने विदेश में काला धन जमा करने वाले 15 भारतीयों के नाम जारी कर दिए हैं। इनमें तीन ट्रस्ट भी शामिल हैं, जिनका पंजीकरण विदेश में हुआ है। पत्रिका ने यह खुलासा अपने ताजे अंक में किया है। वहीं निजी चैनल हेडलाइंस टुडे ने इन 15 भारतीयों की पहचान भी सार्वजनिक कर दी है। सूची में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की फ्रेंचाइजी टीम कोच्चि के सह-मालिक मेहता बंधु भी शामिल हैं। इसके अनुसार जर्मन सरकार ने लिचटेंस्टीन के एक बैंक एलजीटी में काला धन जमा करने वाले 18 भारतीयों के नामों की सूची और बैंक डिटेल दो साल पहले 18 मार्च 2009 को ही भारतीय सरकार को सौंप दी थी।

केंद्र सरकार नाम खोलने से बचती रही
हालांकि केंद्र सरकार विदेशी बैंकों में काला धन जमा कराने वाले भारतीयों के नामों का खुलासा करने से बचती रही है। सरकार का तर्क है कि बैंक के साथ किए गए करार के तहत इन नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में इन लोगों के नाम दिए हैं जो इस मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। पत्रिका के जारी ताजा अंक में कहा गया है कि उसके पास उक्त 18 में से 16 नामों की जानकारी है, जिसमें से उसने 15 नामों का खुलासा कर अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है। पत्रिका ने यह भी दावा किया है कि उसने विदेश में काला धन जमा करने वाले इन लोगों से बात करने की असफल कोशिश करने के बाद ही इन नामों का खुलासा किया है। तहलका के सूत्रों के अनुसार जिन 15 नामों का उसने खुलासा किया है, उनके खिलाफ जांच लगभग पूरी होने वाली है और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड इनके खिलाफ आयकर अधिनियम के तहत जल्द ही उचित कार्रवाई कर सकता है। सूची में एक बड़ी भारतीय कंपनी के चेयरमैन का नाम भी शामिल है, जिसका खुलासा नहीं किया गया है।

(अमर उजाला से साभार)

सामने आए जर्मनी में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम
Source: agency | Last Updated 00:34(05/02/11)
शेयर करें
Share
17
|

रिलेटेड आर्टिकल
काले धन का 'सफेद सच' सामने आया तो दिवालिया हो जाएगा स्विट्जरलैंड
70 लाख करोड़ के काले धन का रास्‍ता खुला या छलावा

नई दिल्ली। भारत सरकार को जर्मनी के लिचटेंस्टीन बैंक में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम सौंपे गए थे, आज उनका खुलासा हो गया है। यह सूची भारत सरकार को 18 मार्च 2008 को सौंपी गई थी, जिसमें 12 ट्रस्ट और 16 व्यक्तियों के नाम हैं।

हालांकि सरकार ने ये नाम एक लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में दिए थे, लेकिन इनका सार्वजनिक खुलासा नहीं किया था। सरकार ने अदालत में कहा कि इन नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता। यह पहला मौका है जब जर्मनी के बैंक ऑफ लिचटेंस्टीन में खाता खुलवाने वालों के नाम सामने आए हैं।

तहलका पत्रिका द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार जो ट्रस्ट इसमें शामिल हैं वे हैं अब्रनोवा ट्रस्ट, मार्लिंन मैनेजमेंट साउथ अफ्रीका, मार्निची ट्रस्ट और सोकालो स्टिफटंग। इन चार खातों में 16 भारतीयों के काले धन की जानकारी मिली है। इन लोगों के कुल 52 करोड़ रुपये बैंक में जमा हैं।

इन व्यक्तियों में मनोज धुपेलिया, रूपल धुपेलिया, अंबरीश धुपेलिया, भव्या धुपेलिया, मनोज धुपेलिया, रूपल धुपेलिया, अंबरीश धुपेलिया, भव्या धुपेलिया, हंसमुख गांधी, ईश्वरलाल गांधी, मधु गांधी, चिंतन गांधी, मिराव गांधी, प्रबोध मेहता, कीर्ती लाल मेहता और रश्मिलाल मेहता शामिल हैं।

हालांकि कहा जा रहा है कि ये व्यक्ति केवल मोहरे हैं और इनके पीछे दूसरे प्रभावशाली लोग हैं।
(भास्कर से साभार)