भ्रष्टाचार व महंगाई पर प्रहार करेगी सरकार | |||||||||
नई दिल्ली। | |||||||||
Story Update : Tuesday, February 22, 2011 3:47 AM | |||||||||
घोटालों की तोहमत से जूझ रही सरकार ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने के अपने इरादों का संसद में इजहार किया है। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू हुए संसद के बजट सत्र में सरकार ने भ्रष्टाचार के भूत के साथ-साथ महंगाई के दानव से भी निपटने को इस साल की अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल करने की घोषणा की। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार आम जनता को महंगाई से राहत दिलाने तथा सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी व सत्यनिष्ठा की कमी से पैदा समस्याओं से प्राथमिकता से निपटेगी। इस क्रम में विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने और दोषियों की पहचान कर उन्हें सजा दिलाने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। अभिभाषण के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू राष्ट्रपति के संसद के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन के संबोधन के साथ ही बजट सत्र 2011-12 शुरू हो गया। इस अभिभाषण में एक भी नई घोषणा का ऐलान नहीं किया गया। संभवतः सरकार ने नई घोषणाओं को बजट के लिए छोड़ दिया है लेकिन साल भर घोटाले दर घोटाले सामने आने के बाद सरकार ने अब भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए ताल ठोकने का ऐलान किया है। महिला आरक्षण को लेकर भी सरकार ने अपने मजबूत इरादे जाहिर कर दिए। राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से भी शीघ्र ही पारित हो जाएगा। उन्होंने खाद्य सुरक्षा कानून बनाने के लिए भी सरकार की प्रतिबद्धता जताई। पाटिल ने कहा कि सरकार बढ़ती महंगाई से चिंतित है। 2011-12 में मुद्रास्फीति से निबटना और खास तौर पर खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को निजात दिलाना सरकार की पहली प्राथमिकता होगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े तेवर दिखाते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनता सुशासन की हकदार है। मिशन के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा मंत्रियों का एक समूह भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए वैधानिक, प्रशासनिक तथा अन्य उपायों पर विचार कर रहा है। आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने संबंधी विधेयक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विसल ब्लोअर विधेयक संसद में पेश किया गया है और अब संयुक्त राष्ट्र के भ्रष्टाचार निरोधक कन्वेंशन का अनुमोदन करने का भी फैसला किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी राजनैतिक दल चुनाव सुधारों का समर्थन करेंगे। न्यायपालिका पर राष्ट्रपति ने सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर उसे भी जवाबदेह बनाने को प्राथमिकता गिना दी। राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायिक सुधारों के लिए राष्ट्रीय मिशन के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वास्तव में यूपीए सरकार ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिए अपनी उपलब्धियां ही गिनाईं। इनमें केंद्र सरकार से संचालित लगभग सभी प्रमुख कार्यक्रमों और योजनाओं का उल्लेख किया गया। राष्ट्रपति ने महंगाई व भ्रष्टाचार समेत गरीबों का उत्थान, आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति को सरकार की पांच प्रमुख प्राथमिकताओं में गिना। माओवादी हिंसा को आज भी बड़ी चुनौती बताया। संसद का पूरा शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाने और लंबे समय तक जारी गतिरोध के मद्देनजर सरकार ने परोक्ष तौर पर विपक्ष को राष्ट्रपति से नसीहत भी दिलवा दी। राष्ट्रपति ने अंत में कहा कि हमें विरासत में जो संस्थाएं, परंपराएं और प्रथाएं मिली हैं उन्हें सुदृढ़ बनाने का प्रयास करना चाहिए। अमर उजाला ब्यूरो
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सोमवार, 21 फ़रवरी 2011
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