आज यहाँ का दलित जिस दोहरी दशा के मध्य जीवन जी रहा है उसे मानसिक प्रसन्नता भले ही हो रही हो लेकिन उनका 'बुद्धिजीवी' आहत है, वैसे ही जैसे अमर सिंह की 'समाजवादी' हैसियत के दिनों से समाजवाद को ये ही अमर सिंह 'पूंजीवादियों की झोली' में डाल चुके थे! आज इसी डर से भयभीत है 'दलित चिन्तक' संभव है दलित उत्थान का दौर चल निकले -सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले ने एक सन्देश दिया है देखें-
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