Mar 23, 01:20 am
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. पीके अब्दुल अजीज के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप सही पाये गए हैं। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में शामिल दोनों पूर्व न्यायाधीशों की कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंप दी है।
हालांकि, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप साबित होने के बावजूद अभी कुलपति को हटाने पर संशय कायम है। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में शामिल दोनों सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने अपनी जांच रिपोर्ट सोमवार दोपहर सीलबंद लिफाफे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के हवाले कर दी है। आरोपों को लेकर दोनों की राय भी अलग-अलग है। सूत्रों की मानें तो जस्टिस एएन दिवेचा ने कुलपति पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सही माना है। कुलपति ने एक साल में पांच लाख रुपये यात्रा व्यय में फूंक दिए। एएमयू में ज्वाइनिंग के लिए केरल से अलीगढ़ आने के दौरान प्रो. अजीज ने न सिर्फ अपना, बल्कि पत्नी और दो बच्चों का किराया भी यूनिवर्सिटी के खाते में ही डाल दिया।
कुलपति पर गंभीर आरोप लगने के बाद करीब दो साल पहले केंद्र सरकार ने दो सदस्यीय जांच आयोग गठित किया था। इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश फकरुद्दीन और पूर्व उड्डयन सचिव एएच जंग को रखा गया था। ये आयोग तमाम आरोपों में फंस गया और खासी आलोचना के बाद सरकार ने दूसरा जांच आयोग गठित किया। इसमें जस्टिस दिवेचा और जस्टिस खान को रखा गया। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दिवेचा ने कुलपति को सीधे अपना पक्ष रखने को कहा था। पहले उनके वकील एजाज मकबूल दलीलें पेश कर रहे थे। एजाज के गलत सूचनाएं देने से नाराज जस्टिस दिवेचा ने त्यागपत्र देने की धमकी तक दे दी थी।
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