Dec 24, 04:06 am
नदीम, लखनऊ। जरा जोड़िए। 52 रविवार + 52 शनिवार + 32 सार्वजनिक अवकाश + 31 अर्जित अवकाश + 14 आकस्मिक अवकाश + 02 निर्बधित अवकाश। कितना योग आया...? 183, जी हां 183। उत्तार प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में यह है छुट्टियों की संख्या। साल के 365 दिन में 183 यानी आधा साल छुट्टी।
गौरतलब यह है कि यूपी में सरकारी छुट्टियों में देखते-देखते यह इजाफा हुआ है। वजह यह कि यहां छुट्टियों की बिसात पर राजनीतिक चालें चली जाने लगी हैं। राजनाथ सिंह उत्तार प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, वह जातीय सम्मेलनों के आयोजन में खासी दिलचस्पी रखते थे। इसके पीछे उनकी सोच अलग-अलग जातियों के भीतर अपना वोट बैंक तैयार करने की थी। यही वजह रही कि उन्होंने चेटी चंद, महाराजा अग्रसेन और चित्रगुप्त की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया। मुलायम सिंह जब मुख्यमंत्री थे, उनकी पहली फिक्र अपने मुस्लिम वोट सहेजने की और दूसरी 'सोशल इंजिनियरिंग' के नाम पर बसपा के पाले में जा रहे ब्राहमणों को रोकने की थी। मुलायम सिंह यादव ने अलविदा तथा हजरत अली के जन्म दिन पर सार्वजनिक अवकाश तो किया ही है, ब्राहमणों को खुश करने के नजरिये से परशुराम जयंती पर भी सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया।
बसपा सरकार में कांशीराम जयंती और उनके निर्वाण दिवस पर दो नयी सार्वजनिक छुट्टियां घोषित हुई। छुट्टियों का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पासी समाज ऊदा देवी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की मांग रहा है। सपा व भाजपा दोनों तरफ से यह आश्वासन दिया जा चुका है, उनकी सरकार बनते ही यह छुट्टी घोषित की जाएगी। सविता समाज की तरफ से भी सार्वजनिक अवकाश की मांग हो रही है।
कामकाज पर असर : उत्तार प्रदेश में सचिवालय और सभी विभागाध्यक्ष कार्यालयों में पांच दिनी सप्ताह लागू है। पांच दिनी सप्ताह के इतर वाले सरकारी दफ्तरों में भी छुट्टियों की संख्या कुछ कम नहीं है। यहां भले ही सभी शनिवार पर छुट्टी न होती हो लेकिन 52 रविवार के साथ-साथ 12 द्वितीय शनिवार + 32 सार्वजनिक अवकाश + 31 अर्जित अवकाश + 14 आकस्मिक अवकाश + 02 निर्बधित अवकाश+ 04 कार्यकारी आदेशों के तहत घोषित अवकाश + तीन स्थानीय अवकाश यानी कि 150 छुट्टियां तो मिलती ही हैं। इतनी अधिक छुट्टियों का काम काज पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
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