बी बी सी से साभार -
भारत के चौदह प्रमुख उद्योगपतियों ने देश के नेतृत्व को एक खुले पत्र में कहा है कि देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर काब़ू पाने की ज़रुरत है.
इन उद्योगपतियों ने कहा है कि सरकार हो, व्यापार या सरकारी संस्थाएं, इनमें प्रशासन पर विश्वास की कमी आई है.
उनका कहना था कि बजट घाटे का असर सरकार के निर्णयों पर आ रहा है.
सरकार को सबसे पहले जनता में खोया हुआ आत्मसम्मान और विश्वास की बहाली करना ज़रुरी है.
उनका कहना था कि न्यायपालिका की वजह से जनता में थोड़ी बहुत उम्मीद बची है.
पत्र लिखने वालों में दीपक पारिख, जमशेद गोदरेज, बिमल जालान, केशब महिंद्रा, अज़ीम प्रेमजी, अनु आग़ा आदि शामिल है.
प्रधाममंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृह मंत्री पी चिदंबरम, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी आदि को लिखे इस पत्र में भ्रष्टाचार को देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बताते हुए कहा गया है कि इसे जड़ से हटाने की कोशिश युद्ध स्तर पर की जानी चाहिए.
लोकपाल की ज़रुरत
उद्योगपतियों का कहना है कि कर्नाटक में जो भूमिका लोक आयुक्त ने निभाई है वो भ्रष्टाचार से लड़ने का एक उदाहरण है.
उन्होंने लोकपाल बिल को जल्द से जल्द राष्ट्रीय स्तर पर लाने की वक़ालत की है ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके.
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि विरोध के नाम पर संसद को न चलने देना सही नहीं है.
उद्योगपतियों ने स्वीकार किया कि ग़रीबों तक आर्थिक प्रगति का लाभ नहीं पहुँच रहा है.
उद्योगपतियों के निशाने पर पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश भी रहे.
इन उद्योगपतियों का कहना है कि परियोजनाओं को पर्यावरण की चिंताओं के मद्देनज़र स्वीकृति मिलने में मुश्किलें आ रही है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों का इस मुद्दें पर नज़रिया एक नहीं है.
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